शिमला, 18 फरवरी – शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर में आज अपने वक्तव्य में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए विशेष प्राथमिकता दी जा रही है। प्रदेश सरकार ने गत वर्ष अनेक ऐसे निर्णय लिए है, जिनसे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार दिखाई देने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि एक वर्ष के दौरान लिए गए निर्णय आने वाले समय में शिक्षा की दिशा व दशा दोनों को निर्धारित करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूल खोलने का निर्णय लिया, जिसमें इन स्कूलों को टीचिंक लर्निंग के अतिरिक्त विद्यार्थी की सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास परिकल्पना की गई है। पढ़ाई के साथ-साथ इन स्कूलों में खेलों की अन्तराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, इन स्कूलों में कला, ललित कला, चित्रकला, नाटक, नृत्य कला व अन्य सामयिक विषयों को भी पढ़ाया जाएगा। विज्ञान विषयों के साथ आईटी, मशीन लर्निंग के साथ हाई-टेक लैब की भी सुविधा प्रदान की जाएगी। डिजिटल लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम व वर्चुअल क्लासरूम भी इन स्कूलों में बनाए जाएंगे। सभी विद्यार्थियों को कैरियर काउंसलिंग व अंग्रेजी माध्यम में पढ़‌ने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। यह विद्यार्थी को पूरी तरह से भविष्य की चुनौतियों में पार पाने में राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सक्षम व काबिल बनायेंगे।

एक्पोजर व ज्ञानवर्धक विज़िट फोर टिचर्स
उन्होंने कहा कि शिक्षा क्षेत्र व शिक्षण संस्थानों में टीचर्स रीड़ की हड्डी का काम करते हैं तथा अच्छे शिक्षक ही अच्छे राष्ट्र व अच्छे नागरिकों का निर्माण करते हैं। अपने प्रदेश के अध्यापकों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर देने के लिए प्रथम चरण में लगभग 200 अध्यापकों को सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय विजिट पर भेजा जा रहा है। इसी तरह 200 अध्यापकों को केरल व अन्य राज्यों में भी भेजा जा रहा है। यह अध्यापक सिंगापुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर को प्रौद्योगिकी शिक्षण के साथ-साथ वहाँ की अन्य सुविधा इत्यादि व हमारे स्टूडेंट के लिए वहाँ पर भविष्य के अवसरों पर भी ज्ञान प्राप्त करेंगे।

स्कूल क्लस्टर व स्कूल/कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा का उचित प्रसार तो हो चुका है लेकिन अब इसे सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इसी कड़ी में प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के स्कूलों के कलस्टर पहली बार बनाए गए हैं। इनमें सभी विद्यार्थी वहाँ पर उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग कर सकते हैं। प्राईमरी के बच्चे वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल की लैब में जा कर उसका उपयोग कर सकते हैं। सुबह की प्रार्थना इक्ट्ठे करके साथ में एक-दूसरे से सीखने में सभी को प्रेरणा मिलेगी। स्कूल क्लस्टर में टीचर्स की पूरी उपलब्धता रहेगी। इससे भी बच्चों का सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास होगा। 
इसी तरह प्रदेश में प्रथम चरण में
लगभग 850 स्कूल ऑफ ऐक्सीलेंस खोले जाएंगे, जिनमें सभी प्रकार की सुविधायें जैसे कि डिजिटल लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम, अच्छी प्रयोगशालाएं, आईसीटी लैब, मैथ लैब व अच्छे स्पोर्टस सुविधाएँ व खेल उपकरण उपलब्ध करा दिए जाएंगे। सरकार ने गत वर्ष में इस तरह की गुणवत्ता को बढ़ाने वाली पहल प्रदेश में शुरू कर दी है। इसकी भी घोषणा मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में की है। उन्होंने कहा कि संस्था विकास योजना के अंतर्गत प्रदेश में सभी शिक्षण संस्थानों की अपनी एक संस्था (स्कूल/कॉलेज) विकास योजना होगी। इसके लिए हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने पहले ही सभी स्कूल/कॉलेज को उचित निर्देश दे दिए हैं। इसमें विद्यार्थियों की प्राथामिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक साल की योजना सभी स्कूल, कॉलेज को बनानी होती है। इसी कड़ी मे स्कूल का अपना कलैंडर ऑफ एक्टीविटी भी होगी, जिसमे साल भर में स्कूल व कॉलेज में एक्टीविटी/गतिविधियाँ करवाई जाएगी।

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