धर्मशाला 01 नवंबर। सरकार से सिंचाई सुविधा के लिए उपदान पर मिले बोरवेल, स्प्रिंकल सिंचाई की सुविधा तथा पॉली हाउस तथा पावरग्रिड ने किसानों की जिंदगी में स्वाबलंबन के नए आयाम स्थापित किए हैं। मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती……..स्वरों को चरितार्थ करते हुए अपने गांव की माटी में सोना उगाने की कांगड़ा उपमंडल के पंचायत नंदेहड़ के कोट क्वाला के किसान बलबीर सैणी की कोशिशों को सरकार की मदद से आत्मनिर्भरता के नए पंख लगाए हैं।
पॉली हाउस में पनीरी तथा खेतों में सब्जियां उगाकर बलबीर सैनी प्रतिवर्ष 15 से 17 लाख की आमदनी अर्जित कर मिसाल कायम कर रहा है। यही नहीं अब उनके बेटे ने बीएससी की डिग्री हासिल करने के उपरांत सब्जी उत्पादन से ही अपने कैरियर को संवारने की पहल भी की है और अब उनके आसपास के किसानों ने भी प्रेरित होकर सब्जी उत्पादन का कार्य आरंभ किया है।
उपमंडल कांगड़ा के कोट-क्वाला के प्रगतिशील किसान बलबीर सैणी ने बताया कि माता-पिता पारंपरिक खेती-बाड़ी करते थे। उनकी रूचि भी खेती-बाड़ी में बहुत थी। सरकार की मदद से पारंपरिक खेती को आधुनिक रूप से करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की ओर से खेतों में सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था के लिए बोरवेल के लिए उपदान दिया गया इसके साथ ही स्प्रिंकल सिंचाई की सुविधा तथा उपदान पर पॉली हाउस भी दिया गया।
इसके साथ उन्नत किस्म के बीज सब्जी उत्पादन के लिए कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध करवाए गए जिसके फलस्वरूप रबी तथा खरीफ दोनों की सीजन में सब्जी उत्पादन करते हैं। उन्होंने बताया कि गर्मियों में करेला, पंडोल, बैंगन, घीया , लौकी, भिंडी इत्यादि सब्जियों का उत्पादन करते हैं जबकि सर्दियों में धनिया, ब्रोकली, पालक, शलगम, मूली, गोभी, मेथी, आलू प्याज चुकंदर मटर इत्यादि का उत्पादन करते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनकी सालाना आमदनी लगभग 15 से 17 लाख रुपए है।
‘’पॉलीहाउस में उगा रहे जहर मुक्त पनीरी‘
प्रगतिशील किसान बलबीर सैणी ने बताया कि पॉलीहाउस में जहरमुक्त सब्जियों की पनीरी भी तैयार कर रहे हैं, इसमें शिमला मिर्च, देसी मिर्च, टमाटर, करेला, घीया, पंडोल, कद्दू, लौकी, गठ गोभी, टमाटर, प्याज की हाइब्रिड पनीरी तैयार की जाती है। इस पनीरी की सप्लाई जम्मू, राजस्थान, इंदौरा, पठानकोट, मंडी बिलासपुर तथा देहरा तक जाती है तथा विभिन्न क्षेत्रों के किसान स्वयं ही पनीरी खरीदने के लिए उनके गांव आते हैं।
‘‘खेतों में ही बिक जाती हैं सब्जियां‘‘
प्रगतिशील किसान बलबीर सैणी का कहना है कि सब्जी उत्पादन के लिए उन्नत किस्म के बीजों का इस्तेमाल करते हैं जिसके चलते उनके खेतों में उत्तम क्वालिटी की सब्जियों की पैदावार हो रही है तथा लोग तथा सब्जी खरीददार उनके खेतों से ही नब्बे प्रतिशत उत्पाद उठा लेते हैं इसके अलावा दस प्रतिशत उत्पाद सब्जी मंडी में जाते हैं। उन्होंने कहा कि मार्केटिंग की किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मार्केट कि हिसाब से सब्जियों के उचित दाम भी उनको प्राप्त हो रहे हैं।
‘‘कृषि विवि के प्रशिक्षु भी सब्जी उत्पादन की सीखते हैं बारीकियां‘‘
बलबीर सैणी ने बताया कि अब कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से प्रशिक्षु छात्र फील्ड विजिट के लिए उनके खेतों में आते हैं तथा सब्जी उत्पादन की बारीकियां सीखते हैं। उन्होंने बताया कि सब्जी उत्पादन के लिए युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं ताकि स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ सकें। यही कारण है कि अब उनके बेटे ने भी डिग्री हासिल करने के बाद खेती बाड़ी को ही अपने कैरियर के रूप में चुना है।
क्या कहते हैं अधिकारी:
उपनिदेशक कृषि विभाग डा राहुल कटोच ने कहा कि कांगड़ा जिला में किसानों को सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित करने के लिए नियमित तौर पर जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जाते हैं तथा विभाग के अधिकारियों की ओर से किसानों को उनके खेतों में जाकर सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है, विभाग की तरह से उपदान पर विभिन्न उपकरण तथा उन्नतशील बीज भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने कहा कि सब्जी उत्पादन में स्वरोजगार की असीम संभावनाएं हैं तथा कांगड़ा जिला में किसानों को उत्पादों की मार्केटिंग के लिए बेहतर व्यवस्था करने के लिए कारगर कदम उठाए जा रहे हैं इस के लिए किसानों को उत्पाद बेचने के लिए विभिन्न स्तरों लिकेंज भी सुनिश्चित की जा रही है ताकि किसान बेहतर आय अर्जित कर सकें।