ज़िला सोलन की तीन प्रमुख नदियों गिरी, अश्वनी तथा गम्भर में नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय मेजर कार्प प्रजाति की 56 हजार मत्स्य अंगुलिकाओं का संग्रहण किया गया। यह जानकारी सहायक निदेशक मत्स्य डॉ. सोमनाथ ने दी।
डॉ. सोमनाथ ने कहा कि नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत विशेष गतिविधि के रूप में शुरू किया गया है।

उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण के सन्तुलन को बनाए रखने के साथ-साथ नदीय मछुआरों की रोजी-रोटी को सुरक्षित करना भी है। नदीय मत्स्य पालन कार्यक्रम इस दिशा में एक विशेष भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि संग्रहित की जाने वाली मत्स्य अंगुलिकाएं आने वाले दो वर्षों में मछुआरों की आजीविका का प्रमुख स्रोत बनेंगी।

उन्होंने कहा कि पर्यावरण में आ रहे बदलाव तथा विभिन्न विकास कार्यों के कारण मछली के नियमित प्रजनन क्षेत्र धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। इससे देसी मछली की कई प्रजातियां लुप्त हो रही हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत नदियों में पाई जाने वाली देसी मछली प्रजातियों का प्रजनन करवाकर, बड़े आकार के अंगुलिकाओं को नदियों में वापिस डाला जा रहा है। यह एक संयुक्त कार्यक्रम है जो जैव विविधता को कायम रखने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।


इस अवसर पर सहायक निदेशक मत्स्य ऊना विवेक शर्मा पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रहे। क्षेत्र के मत्स्य जीवी वर्ग तथा पंचायत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मत्स्य बीज संग्रहण कार्यक्रम पूर्ण किया गया।

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