धर्मशाला, 21 जनवरी। उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने कांगड़ा जिला के समस्त विकास खंडों में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए पंचायतों में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को लेकर काम करने पर जोर दिया। साथ ही सभी बीडीओ को इसके बेहतर क्रियान्वयन के निर्देश दिए। डीसी ऑफिस में शनिवार को आयोजित इस बैठक में अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल सहित जिला के सभी खंड विकास अधिकारियों, डीआरडीए, योजना और पंचायती राज विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया। उपायुक्त ने सभी विकास खंड अधिकारियों को ग्रामीण विकास से जुड़े कामों में तेजी लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए खंड विकास अधिकारियों की भूमिका अहम होती है। उन्होंने सभी खंड विकास अधिकारियों को विकास के तय लक्ष्यों को समय पर पूरा करने के निर्देश दिये।
इन योजनाओं की समीक्षा
बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण), पंचवटी पार्कों, अमृत सरोवर, वॉटर शैड योजना, पंचायत घरों, सामुदायिक भवनों के निर्माण, ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों की प्रगति की भी समीक्षा की गई। डीसी ने ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को पंचायत स्तर पर समग्र मनरेगा पर विशेष फोकस करने को कहा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लाभान्वित हो सकें।
उपायुक्त ने पंचायतों में विकास कार्यों के लिए आवंटित धनराशि का सदुपयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर निर्माण कार्यों का नियमित तौर पर निरीक्षण किया जाए तथा निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने विकास खंड अधिकारियों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि सभी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा करना जरूरी है ताकि विकास कार्यों को पूर्ण करने में तेजी लाई जा सके।
प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन पर दें विशेष ध्यान
डीसी ने बताया कि पंचायतों में प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, जिसमें कृषि, सिंचाई, जल प्रबंधन, पौधारोपण जैसे विभिन्न कार्य आते हैं, उन्हें प्राथमिकता से करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के 9134 कार्य प्रगति पर हैं, जोकि कुल कार्यों के लगभग 55 प्रतिशत है। डीसी ने बैठक में निर्देश दिए कि पंचायतों में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और जल प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन भी बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि सभी ब्लॉकों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के लिए पलांट स्थापित किये जा रहे हैं। जिसमें भवारना पंचायत की कलूंड पंचायत में इसका क्रियान्वयन हो गया है। उन्होंने बाकी विकास खंडों में भी इसके शीघ्र निर्माण के निर्देश दिए।
अमृत सरोवरों पर दिया जाए विशेष बल
उपायुक्त ने कहा कि पंचायत स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों और स्रोतों के सरंक्षण को लेकर अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में अभी तक 60 अमृत सरोवर बनकर तैयार हो गए हैं। वहीं लगभग 30 का निर्माण कार्य प्रगति पर है। उन्होंने खंड विकास अधिकारियों को प्रत्येक ब्लॉक में दो-दो अतिरिक्त अमृत सरोवरों के निर्माण करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आने वाली 26 जनवरी को प्रत्येक अमृत सरोवर में किसी स्वतंत्रता सेनानी, बलिदानी परिवार के सदस्य, प्रतिष्ठित व्यक्ति या क्षेत्र के किसी वरिष्ठ नागरिक द्वारा तिरंगा भी फहराया जाए। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवरों के निर्माण के साथ उनकी उपयोगिता को भी सुनिश्चित किया जाए।
पर्यटन की दृष्टि से विकसित की जाएं पंचायतें
अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल ने बैठक में सभी खंड विकास अधिकारियों से कहा कि हमारे यहां लगभग प्रत्येक विकास खंड में पर्यटन की दृष्टि से कोई न कोई महत्वपूर्ण स्थल है। उन्होंने कहा कि वॉटर स्पोर्टस, कैंपिंग, मंदिर, पौराणिक किलों, वन विहार और अन्य प्रकार के प्राकृतिक स्थल हमारे यहां हैं, जिन्हे पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार प्रत्येक ब्लॉक अपने यहां महत्वपूर्ण स्थलों का चयन कर वहां पर्यटन की दृष्टि से भी उन्हें विकसित करने के लिए मार्ग तलाशे। उन्होंने कहा कि इससे न केवल क्षेत्र का विकास होगा अपितु पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के साधन उपलब्ध होंगे।