शिमला: एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में अफ्रीकी मूल के लोगों के लिए मनाया जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले अफ्रीकी देशों के छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साह और गर्व के साथ विभिन्न अफ़्रीकन देशों की संस्कृतियों को गीत-संगीत, कविता पाठ, नाटक के माध्यम से विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ अफ्रीका दिवस के अवसर पर शनिवार को एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के सभागार में धूमधाम से यह विशेष दिवस मनाया। अफ़्रीकन छात्र-छात्राओं ने अपने देश की  विशेषताएं बताईं और अपने राष्ट्रीय गीतों को भी प्रस्तुत किया।  इस कार्यक्रम का आगाज़ एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के प्राध्यापकवर्ग, ग़ैरशिक्षकवर्ग और छात्र छात्राओं ने अफ़्रीकन राष्ट्र गान के  सम्मान में  खड़े होकर इन अफ्रीकी देशों के छात्र-छात्राओं के उत्साह को दूना कर दिया।

अफ्रीका दिवस के अवसर पर अफ्रीका के रिपब्लिक ऑफ मलावी देश की ओर से शिक्षा सचिव बीट्राइस नगूँजे और रिपब्लिक ऑफ मोजांम्बिक की ओर से दिल्ली स्थित उच्चायोग में शिक्षा सलाहकार ऑर्लैंडो ऑगस्टा मोरिस रोडोल्फो ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।  कार्यक्रम का आरंभ मुख्यातिथियों की मौजूदगी में  माँ सरस्वती के सम्मान में दीपप्रज्वलित कर किया गया। अफ्रीका दिवस के अवसर पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में पधारे इन मुख्यातिथियों का एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. आर.के. चौधरी, चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत, प्रो-चांसलर प्रो. डॉ. रमेश चौहान और वाईस-चांसलर प्रो. डॉ. आर.एस. चौहान ने हिमाचली टोपी व शॉल स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया। 

इस अवसर पर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. अंकित ठाकुर, डीन एकेडेमिक्स प्रो. डॉ. आनंदमोहन, परीक्षा नियंत्रक अफ़ज़ल खान, विश्वविद्यालय की कार्यकारी अधिकारी ज्योत्स्ना शर्मा और विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष ने मुख्यातिथियों से मुलाकात की और विश्ववविद्यालय में पधारने के लिए उनका स्वागत किया। वहीं एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के वाईस-चांसलर प्रो. डॉ. आर.एस. चौहान ने इस अवसर पर सभागार में उपस्थित शिक्षकों, छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि अफ़्रीका दिवस, 25 मई, 1963 को अफ़्रीकी एकता संगठन जिसे अब अफ़्रीकी संघ के नाम से जाना जाता है की स्थापना की याद में मनाया जाता है। औपचारिक रूप से इसे अफ़्रीकी स्वतंत्रता दिवस और फिर अफ़्रीकी मुक्ति दिवस के रूप में जाना जाता है।

प्रो. आर. एस. चौहान ने कहा कि अफ्रीका दिवस  उपनिवेशवाद और आर्थिक शोषण, नस्लभेद, रंगभेद , मानव अधिकारों का उल्लंघन और  प्रतिकूल परिस्थितियों के खिलाफ अफ्रीका  महाद्वीप के निरंतर सामूहिक संघर्ष को उजागर करने और अफ़्रीकन देशों को पश्चिमी यूरोपीय देशों के  साम्राज्यवाद और उपनिवेशवादी शक्तियों से  मुकाबला करने और फिर धीरे-धीरे  उपनिवेशवाद से आज़ादी मिलने पर प्रकाश डालता है और अफ़्रीकन देशों की एकता, तरक्की,  शान्ति और आज़ादी के संघर्ष की कहानियों को दर्शाता है जिसमें भारत का भी योगदान रहा है और दक्षिणी अफ्रीका में भारतीयो और अफ़्रीकन अश्वेतों के साथ होने वाले भेदभाव और उपनिवेशवाद के खिलाफ महात्मा गांधी ने लम्बी लड़ाई लड़ी थी और अफ्रीका के लोगों को आज़ादी के लिए महात्मा गांधी से प्रेरणा मिली थी। 

प्रो. चौहान ने कहा कि अफ़्रीकी संघ आज 1.2 अरब लोगों के एक जीवंत महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करता है। अफ्रीका बाधाओं के बावजूद कितना आगे आया है और यह पहचानने का दिन है कि यह सुनिश्चित करने के लिए और कितना कुछ करने की जरूरत है कि सभी अफ्रीकी स्वस्थ, खुशहाल जीवन  और बेहतर शिक्षा ग्रहण कर सकें। प्रो. चौहान ने कहा कि अफ्रीकन देश भारत के हमेशा से गहरे मित्र हैं। उन्होंने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में भारत सहित  25  देशों के छात्र जिनमें अफ़्रीकन देशों के छात्र विश्वविद्यालय में विभिन्न संकायों में पढ़ाई कर रहे हैं और बहुत से छात्र यहां से पढकर अपने देशों में बेहतर सेवाएं दे रहे हैं।

प्रो. चौहान ने कहा कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय बेहतर शिक्षा के साथ- साथ विविध संस्कृतियों, बहु-भाषाओं और विविध विचारों वाला विश्वविद्यालय बन गया है और एक ही शिक्षा के मंच पर सबको बिना भेदभाव के शिक्षा प्रदान की जाती है और छात्र एक दूसरे की संस्कृति से भी परिचित होते हैं। वहीं मुख्यातिथि बीट्राइस नगूँजे रिपब्लिक ऑफ मलावी की शिक्षा सचिव ने सभागार में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि अफ्रीका दिवस  भारत और अफ्रीका की मित्रता के का  विशेष दिन है क्योंकि  भारत हमेशा  अफ्रीका का हर क्षेत्र में सहयोगी राष्ट्र है, हमने अपने इतिहास अर्थात् हमारे मूल्य, हमारे सामान्य खतरे, उपनिवेशवाद और भेदभाव के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक-दूसरे से प्रेरणा ली है। 

उन्होंने कहा कि अफ्रीका दिवस एकता, मित्रता, शांति,  नवाचारों और बेहतर तालीम हासिल करने के लिए प्रेरित करता है और विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान करने और जीवन में तरक्की करने के लिए प्रेरित करता है और अपने राष्ट्र की आज़ादी को बरकरार रखने और भारत से आगे बढ़ने का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि एपीजी शिमला विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्र-छात्राओं के लिए बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर वाला विश्वविद्यालय है और शिमला के सुरम हरेभरे वातावरण में छात्र-छात्राओं को शिक्षा प्रदान कर रहा है ऐसा कम ही देखने को मिलता है। मुख्यातिथियों ने अफ़्रीकन छात्र-छात्राओं को प्रदान की जा रही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के प्रबंधन खासकर योग्य प्राध्यापकगणों का धन्यवाद किया।

अंतर्राष्ट्रीय अफ्रीका  दिवस पर अफ्रीकी देशों के छात्र-छात्राओं की वेश-भूषा व सांस्कृतिक कार्यक्रम और भारतीय व हिमाचली छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत पहाड़ी नाटी और हिंदी फिल्मी गानों पर नृत्य  खास आकर्षण ने दर्शकों व मुख्यातिथियों का खूब मनोरंजन किया। प्रतिभागी छात्र-छात्राओं ने अपने-अपने देश के परंपरागत परिधान पहन कर  अपनी संस्कृति, जीवन संघर्ष का एक ही मंच पर प्रतिनिधित्व किया। वहीं छात्र-छात्राओं  ने परंपरागत नृत्य और गायन भी प्रस्तुत किया। यद्यपि भारतीय छात्र-छात्राओं को विदेशी छात्र-छात्राओं की  भाषा समझ से परे थी लेकिन उनके भावों ने इस समस्या को भी हल कर दिया। नाइजीरिया की  बीएसी फोरेंसिक साइंस की छात्रा व अफ्रीकन स्टूडेंट्स यूनियन की कोऑर्डिनेटर रोडा  ने बड़े गर्व से बताया कि  अफ्रीका भारत से और भारत के लोगों से प्रेरित है कि राष्ट्र की तरक्की में बेहतर शिक्षा का होना जरूरी है और कहा कि  मेरा सौभाग्य है कि मुझे एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने का अवसर मिला।

कार्यक्रम के अंत में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. अंकित ठाकुर ने दोनों  विशेष अतिथियों का अफ्रीका दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में पधारने और छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए धन्यवाद किया और कहा कि अफ्रीकन और हिमाचल व भारतीय छात्र-छात्राओं ने अपनी अपनी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अफ्रीका एकता और भारत-अफ्रीका मित्रता का संदेश दिया और कहा कि एपीजी विश्वविद्यालय सभी छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का संकल्प लिए हुए है।  कार्यक्रम का समापन भारतीय राष्टगान के साथ हुआ।

कार्यक्रम के समापन के बाद  एपीजी शिमला विश्वविद्यालय  के प्रबंधन विभाग की ओर से कार्यकारी अधिकारी ज्योत्स्ना शर्मा, डीन अक्सडमिक्स प्रो. डॉ. आनंदमोहन और विश्ववविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. अंकित ठाकुर ने मुख्यातिथियों को विभिन्न विभागों में उनका दौरा करवाया और पढ़ाए जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों से अवगत करवाया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अफ्रीकी छात्रा रोड़ा  और प्रिंस ने किया।

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