सोलन, 26 अप्रैल विश्व बौद्धिक संपदा (आईपीआर) दिवस को ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के मुद्दों और चुनौतियों में उभरते रुझान’ पर केंद्रित एक दिवसीय सेमिनार के साथ मनाया गया, इसका आयोजन हिमाचल प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण, के सहयोग से शूलिनी विश्वविद्यालय के कानूनी विज्ञान संकाय द्वारा किया गया।  विश्व आईपीआर दिवस सेमिनार को चिह्नित करने के लिए प्रश्नोत्तरी और पोस्टर मेकिंग जैसी विभिन्न गतिविधियां भी आयोजित की गईं।

सेमिनार की मुख्य वक्ता पंजाब यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ज्योति रतन थीं। प्रोफेसर रतन के सत्र में बौद्धिक संपदा की जटिलताओं, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ इसके अंतर्संबंध और इसके दूरगामी सामाजिक प्रभाव पर चर्चा की गई। शूलिनी विश्वविद्यालय के चांसलर प्रोफेसर पी के खोसला ने सेमिनार का उद्घाटन किया और नवाचार को बढ़ावा देने और रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा में आईपीआर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की शुरुआत  सहायक प्रोफेसर रिचिका द्वारा विश्वविद्यालय के आईपीआर सेल के परिचय के साथ हुई। उनकी अंतर्दृष्टि ने बौद्धिक अन्वेषण के एक दिन के  सेमिनार लिए आधार तैयार किया। सेमिनार का मुख्य आकर्षण क्विज़ और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताएं थीं, जिसमें प्रतिभागियों की प्रतिभा और उत्साह का प्रदर्शन किया गया। सीमा और तान्या बी.ए.एल.एल.बी.द्वितीय वर्ष से प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में  विजेता बनी, जबकि बी.ए.एल.एल.बी. प्रथम वर्ष की मानशी  ने पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।

सेमिनार का समापन एक पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जहां डॉ. कुसुम वर्मा  सहायक प्रोफेसर ने कार्यक्रम की सफलता में उनके योगदान के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों, प्रतिभागियों और आयोजकों को धन्यवाद दिया। कानूनी विज्ञान संकाय के एसोसिएट डीन प्रो. नंदन शर्मा ने सभी प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया और बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता और समझ को बढ़ावा देने में ऐसी पहल के महत्व को रेखांकित किया।

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