स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि हिमाचल की आर्थिकी मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है जिसके सुदृढ़िकरण के लिए प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र में उन्नत तकनीक के उपयोग पर बल दे रही है। डॉ. शांडिल आज सोलन विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत ममलीग में आयोजित किसान मेले को सम्बोधित कर रहे थे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारा राज्य एक कृषि प्रधान राज्य है। आधुनिक युग में विज्ञान ने कृषि क्षेत्र को सुलभ बनाने और उपज में वृद्धि के लिए कई आविष्कार किए हैं। उन्होंने कहा कि यह उन्नत तकनीक जब तक खेतों तक नहीं पहुंचेंगी तब तक किसान लाभान्वित नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि इस दिशा में कृषि वैज्ञानिकों और तकनीक के जानकारों को मिलकर कार्य करना होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में व्यावसायिक एवं योजनाबद्ध कार्य से आत्मनिर्भर बनकर आर्थिकी को मज़बूत बनाया जा सकता है। तकनीक के विकास से कृषि क्षेत्र में रोज़गार की अपार संभावनाएं सामने आई हैं।

डॉ. शांडिल ने इससे पूर्व 02 लाख रुपए से निर्मित होने वाले सामुदायिक भवन ममलीग, 02 लाख रुपए से निर्मित होने वाले एम्बुलेंस मार्ग चपला तथा मोक्षधाम गयाना के लिए, 02 लाख रुपए से निर्मित होने वाले सामुदायिक भवन दोची, एक लाख रुपए से निर्मित होने वाले गोसदन ममलीग के द्वार, 02 लाख रुपए से मुख्य मार्ग से हरिराम के घर तक सम्पर्क मार्ग, एक लाख रुपए से निर्मित होने वाले गांव भोला (पनोग) में सामुदायिक भवन, 1.50 लाख रुपए से निर्मित होने वाले सामुदायिक भवन छाछी के समीप किचन शेड, एक लाख रुपए से निर्मित होने वाले गोव नेरी से बती-का-जुब्बड़ से रोबनी के लिए एम्बुलेंस मार्ग तथा 1.50 लाख रुपए से गांव थान नज़दीक गन्हाराघाट में निर्मित होने वाले मंच व डंगा का शिलान्यास किया।

स्वास्थ्य मंत्री ने 07 लाख रुपए से निर्मित सामुदायिक भवन वशील, 06 लाख रुपए से निर्मित सामुदायिक भवन काकड़ा तथा बगलामुखी मंदिर ममलीग में 02 लाख रुपए से निर्मित किचन शैड का लोकार्पण किया।

डॉ. शांडिल ने इस अवसर पर कण्डाघाट के प्रगतिशील किसान मदन लाल, नरेश कुमार तथा भीमा देवी, सोलन के जितेन्द्र कुमार व कमल कश्यप, कुनिहार के हीरा लाल व परस राम तथा धर्मपुर के प्रगतिशील किसान मोहन कश्यप व सुदेश कुमारी को 10 हजार रुपए के चैक देकर सम्मानित किया। कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्धन अभिकरण (आत्मा) सोलन के परियोजना निदेशक डॉ. योगराज चौहान ने इस अवसर पर उपस्थित किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी। 

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