सोलन, 22 फरवरी जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (जेडएसआई) और इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन चंडीगढ़ चैप्टर के सहयोग से, शूलिनी विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज, विज्ञान संकाय द्वारा , “सतत विकास के लिए तकनीकी प्रगति जैव विविधता संरक्षण की ओर (ICTSBC 2024)”” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। । यह सम्मेलन जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास की चुनौतियों से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित करने के लिए आयोजित किया जा रहा है।

सम्मेलन का उद्घाटन आज प्रो. आर.सी. द्वारा  किया गया । प्रोफ  सोबती के साथ चांसलर प्रो. पी.के. खोसला, प्रो-चांसलर  विशाल आनंद, निदेशक योजना शूलिनी विश्वविद्यालय प्रो. जे.एम. जुल्का, रजिस्ट्रार शूलिनी विश्वविद्यालय प्रो. सुनील पुरी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे । अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. आर.सी.  सोबती पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति  ने जैव विविधता संरक्षण और स्थिरता की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। प्रोफेसर धीर सिंह निदेशक, आईसीएआर एनडीआरआई, करनाल, भारत सम्मेलन के मुख्य अतिथि ने सभा को संबोधित किया और क्रॉस-किंगडम कम्युनिकेशन और एपिजेनेटिक्स पर अपने विचार साझा किए, इसके बाद कार्यक्रम पुस्तक/स्मारिका का अनावरण किया गया।

शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अतुल खोसला ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर जोर दिया और संदेश दिया कि “मूल्यों के बिना विज्ञान और सफलता का कोई मतलब नहीं है”।
प्रोफेसर बी.एन. पांडे अध्यक्ष, जेडएसआई ने सभा को संबोधित किया और खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जैव विविधता संरक्षण के महत्व को समझाया।

विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वी. लक्ष्मी सक्सेना ने जैव विविधता संरक्षण में नवाचार और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। शूलिनी विश्वविद्यालय के चांसलर प्रो. पी.के. खोसला ने सम्मेलन के उद्देश्यों को साझा किया और मात्रा, परस्पर संबंधित विज्ञान, अध्यात्मवाद और योग पर गुणवत्ता अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रोफेसर कमल जयसवाल महासचिव, जेडएसआई ने प्रोफेसर पी.के. खोसला  और प्रो. आर.सी. सोबती. को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।  प्रो. आर.सी. सोबती ने मानद सदस्यों डॉ. धीर सिंह, प्रोफेसर बी.एन.  पांडे, प्रो. अशोक सक्सैना, प्रो. जे.एस. बंसल, प्रो. वी. लक्ष्मी, डॉ. कमल जसवाल, डॉ. वी. वासुदेव, डॉ. आई.के. पाई, डॉ. फैयाज अहमद, डॉ. एम.सी. सिद्धू हिमालयन फोरम फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के  नामों की घोषणा की। पूर्ण सत्र में डॉ. धीर सिंह ने म्यू-वेसोम और दवा वितरण और निदान में दूध एक्सोसोम की क्षमता पर अपना अभूतपूर्व शोध प्रस्तुत किया। पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. आनंद एन. सिंह ने जैव विविधता और इसके अनिवार्य संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला।

भारत भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्रतिभागियों ने स्थिरता और संरक्षण पर एक बहु-विषयक संवाद को बढ़ावा देते हुए अपना शोध प्रस्तुत किया। पहले दिन का समापन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें शूलिनी विश्वविद्यालय के छात्रों ने हिमाचल प्रदेश और पंजाब की समृद्ध विरासत का जश्न मनाते हुए प्रदर्शन किया।

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