धर्मशाला, 14 दिसंबर। जिला कांगड़ा में व्यस्कों को टीबी से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनवरी महीने से टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान जिले में वयस्कों को जनवरी, फरवरी और मार्च तीन महीनों में बीसीजी का टीका लगाया जाएगा। यह जानकारी अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल ने बीसीजी टीकाकरण तथा रूटीन इम्यूनाइजेशन को लेकर उपायुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने बताया कि नवजातों के बाद बीसीजी (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) का टीका अब युवाओं को भी टीबी से सुरक्षित रखेगा।
आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर करेंगी सर्वे
एडीसी ने बताया कि बीसीजी का टीकाकरण अभियान चलाने से पहले जिले में सर्वे किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर पात्र वयस्कों की जानकारी प्राप्त करेंगी। जिसके संपन्न होने पर टीकाकरण कार्य शुरू करवाया जाएगा।
इन्हें लगेगा टीका
बीसीजी का टीका 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोग, जिन लोगों को पिछले पांच वर्षों में एक बार भी टीबी हुई हो, 60 वर्ष और उससे अधिक के बुजुर्ग, धूम्रपान करने वाले लोग, पिछले तीन साल के टीबी रोगियों के संपर्क में आने वाले लोग, मधुमेह पीड़ित के साथ-साथ 18 किलो प्रति वर्ग मीटर से कम बॉडी मास इंडेक्स वाले व्यक्ति भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि टीकाकरण से पूर्व व्यक्ति से लिखित सहमति ली जाएगी। उन्होंने बताया कि इन वर्गों में भी टीकाकरण स्वेच्छा के आधार पर ही होगा।
इन विषयों पर भी हुई चर्चा
बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आगामी इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष, यू-विन पोर्टल, एमआर एलिमिनेशन तथा रूटीन इम्यूनाइजेशन के बारे में चर्चा की गई। एडीसी ने सीएमओ, बीएमओ सहित उपस्थित अन्य स्वास्थ्य अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से न छुटे। उन्होंने सभी हितधारकों से भी यह आह्वान किया कि वह इस अभियान में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें।
टीबी से बचाव में होगा सहायक: विशेषज्ञ
इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डॉ. सुशील शर्मा, सलाहकार विश्व स्वास्थ्य संगठन डॉ. रविन्द्र और डॉ. उषा किरण, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश गुलेरी, कार्यक्रम अधिकारी यूएनडीपी अविनाश तथा जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. राजेश सूद सहित अनेक विशेषज्ञ उपस्थित रहे। विशेषज्ञों ने कहा कि यह टीका टीबी के उपचार नहीं अपितु उससे बचाव के लिए कारगर है। उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति में टीबी के कीटाणु कुछ मात्रा में रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह गंभीर टीबी का रूप न ले इसके लिए बचाव के तौर में इसे सभी को लगवाना चाहिए।