धर्मशाला, 1 दिसम्बर। ‘कैच द रेन’ अभियान के तहत जिला कांगड़ा में किए गए कार्यों की समीक्षा के लिए आई केंद्र की टीम ने जिला कांगड़ा के प्रयासों की सराहना करते हुए, इन प्रयासों को आगे बढ़ाने की बात कही। उपायुक्त कार्यालय में आज शुक्रवार को आयोजित इस समीक्षा बैठक के उपरांत डीसी कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव शलभ त्यागी की अध्यक्षता में आई केंद्र की टीम ने जिला कांगड़ा में दो दिन फील्ड विसिट कर अभियान के तहत किए गए कार्यों का जायजा लिया।
उन्होंने बताया कि इस टीम ने 30 नवम्बर (वीरवार) को नूरपुर और जवाली तथा आज शुक्रवार को पालमपुर और कांगड़ा का दौरा कर वर्षा जल संग्रहण और संरक्षण के लिए जिले में किए गए कार्यों का मौके पर जाकर निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि इसके उपरांत डीसी ऑफिस में इन कार्यों की समीक्षा को लेकर आयोजित बैठक में पूरा ब्यौरा लिया। उपायुक्त ने बताया नोडल अधिकारी शलभ त्यागी और उनकी टीम ने जिला में वर्षा जल संग्रहण और भंडारण को लेकर किए गए प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा की और इसे आगे जारी रखने की बात कही।
इस प्रयासों को सराहा
डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि केंद्र के नोडल अधिकारी को जिला में ग्रामीण विकास विभाग, कृषि विभाग, जल शक्ति विभाग तथा वन विभाग के माध्यम से निर्मित जल संग्रहण ढांचों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कहा कि इसके अलावा प्रशासन द्वारा की गई विशेष पहलों को भी कंद्रीय टीम ने सराहा। जिसमें जिला कांगड़ा में अग्नि संबंधित संवेदनशील वन क्षेत्रों के लिए फायर हाइड्रैंटस की मैपिंग और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस् के कार्य सम्मिलित हैं।
उपायुक्त ने बताया कि प्रशासन द्वारा पूरे जिले में ऐसे जल निकायों और स्रोतो की मैपिंग की गई है, जो प्राकृतिक हैं और जिनमें पांच लाख लीटर से अधिक जल संग्रहित रहता है। उन्होंने कहा कि वनों में अग्निशमन के लिए पास के जलस्रोतों की मैपिंग की गई है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त जिले में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटस् को भी फायर हाईड्रैंटस के साथ सीधा जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त अन्य प्रयोजनों के लिए भी इस जल का उपयोग करने के बारे में सोचा जा रहा है।

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