हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी आर्थिकी का एक महत्वपूर्ण भाग है। बागवानी न केवल अर्थव्यवस्था में अपना योगदान देती है अपितु सेब से जुड़ा व्यवसाय काफी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवाता है। इस व्यवसाय से न केवल प्रदेश के बल्कि प्रदेश के बाहर के लोग भी प्रत्यक्ष अथवा प्रोक्ष रूप से जुड़े हैं।

दिसम्बर 2022 में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता संभाली और सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सत्ता सीन होते ही सरकार ने विभिन्न वर्गो के कल्याण हेतु योजनाओं पर बल देना आरम्भ किया और विशेषकर कृषि एवं बागवानी क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सरकार ने सेब को प्रति किलो के हिसाब से खरीदने व बेचने का निर्णय लिया। हिमाचल में सेब की बागवानी को लाभकारी एवं सुदृढ़ बनाने की दृष्टि से यह निर्णय अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से सेब को बेचने के ढ़ग में बहुत सारे परिवर्तन हुए हैं जिससे कि बागवनों के केवल एक वर्ग विशेष को ही लाभ पहुंच रहा था, किन्तु एक लघु एवं सीमांत बागवान जिसके पास बागवानी योग्य भूमि अपेक्षाकृत कम है, वह इस व्यवस्था में नुकसान उठा रहा था। इस बीच बहुत समय से बागवानों की यह मांग थी कि सेब को किलो के हिसाब से बेचा जाए जोकि अब तक धड़े में बिक रहा था। कुछ बागवान सेब की पेटी में मनचाहे वजन का सेब भर रहे थे जबकि अंर्तराष्टीय मानकों के अनुरूप सेब की एक पेटी में 24 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता किन्तु हिमाचल के सेब पर इस प्रकार का कोई प्रतिबंध नहीं था।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सुयोग्य नेतृत्व में तथा बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी के सहयोग से वर्तमान प्रदेश सरकार ने इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयत्न करते हुए यह निर्णय लिया कि इस वर्ष सेब को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही पेटियों में भरा जाएगा तथा मण्डियों में प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाएगा। सरकार ने एपीएमसी व आढ़तियों को इस व्यवस्था का पालन करते हेतु कड़े निर्देश दिए साथ ही नियमों की अनुपालना न होने की स्थिति में कड़े दण्ड का प्रावधान भी किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि नई व्यवस्था का पालन ठीक प्रकार से हो बागवानी मंत्री ने सेब सीजन की शुरूआत में फल एवं सब्जियों मण्डियों का निरीक्षण किया और वहां पर हो रही गतिविधियों का जायजा भी लिया।

सुरेन्द्र चौहान को छोटे आकार के सेब का मिला अच्छा दाम

किसानों के जिस वर्ग हेतु इस व्यवस्था का निर्णय लिया गया है वह इस निर्णय से संतुष्ट और प्रसन्न दिखाई दे रहा है। जिला शिमला की उप तहसील जांगला के एक मध्यमवर्गीय बागवान सुरेन्द्र चौहान ने बताया कि सरकार द्वारा लाई गई इस व्यवस्था से इस वर्ष उन्हें सेब के दाम अपेक्षाकृत अच्छे मिल रहे हैं। सुरेन्द्र चौहान ने बताया कि इस वर्ष मौसम की प्रतिकूलता के चलते उनके सेब का आकार छोटा रह गया है जिससे कि उन्हें अच्छे दाम मिलने की उम्मीद नहीं थी। क्योंकि पिछली व्यवस्था के अनुसार लार्ज, मीडियम, स्माॅल और एक्स्ट्रा स्मॉल आकार का सेब पांच तहों में भरा जाता था, जिसका वजन 27 से 28 किलो के बीच होता था। साथ ही 240 नं0 एवं 310 नं0 सेब 6 तहो में भरा जाता था जिसका वजन लगभग 32 से 34 किलो होता है। किन्तु मण्डियों में इन सब का दाम एक बराबर मिलता था जिससे कि छोटे आकार के सेब को उचित दाम नहीं मिल पा रहा था। जबकि वजन की दृष्टि से पेटी में यह सेब 6 से 7 किलो अधिक होता है। इससे बागवानों को छोटे आकार के सेब में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था।
सरकार ने वर्ष 2023 में सेब विपणन की नई व्यवस्था शुरू की है जिसके अन्तर्गत पेटी में 24 किलो से अधिक सेब नहीं भरा जा सकता, जिससे की बागवानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त हो रहा है। सुरेंद्र चौहान ने बताया कि इस व्यवस्था से उनके सेब को मण्डियों में उचित दाम मिल रहे हैं जिसके वह प्रदेश सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं।

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