शूलिनी विश्वविद्यालय  परिसर में 74वां गणतंत्र दिवस मनाया गया और विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने बड़े जोश और उत्साह के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया।मुख्य अतिथि  संजीव अरोड़ा, पूर्व सचिव, विदेश मंत्रालय, शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोफेसर पीके खोसला, कुलपति प्रोफेसर अतुल खोसला, अध्यक्ष श्रीमती सरोज खोसला, ट्रस्टी  सतीश आनंद और अशोक आनंद और निदेशक संचालन ब्रिगेडियर एसडी मेहता ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस अवसर पर बोलते हुए  संजीव अरोड़ा ने अपने व्यक्तिगत विकास और सार्थक सीखने के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहने की आवश्यकता पर बल दिया।  

पी.के. खोसला की किताब ‘ट्रिस्ट विद कर्मा’ से  उन्होंने कहा कि हमें सफलताओं को गले जरूर लगाना चाहिए, लेकिन अपनी असफलताओं का जश्न भी मनाना चाहिए।शूलिनी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. पीके खोसला ने कहा कि विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयां हासिल करने के लिए हमें अपनी धारणा बदलने की जरूरत है और हमें हर क्षेत्र में वैश्विक शिक्षा परिदृश्य पर अपनी छाप छोड़नी चाहिए।शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अतुल खोसला ने अपने देश के विकास के लिए कहा कि हमें तीन मंत्रों यानी सस्टेनेबिलिटी, प्लास्टिक यूज में कमी और हाइजीन को फॉलो करने की जरूरत है।

उन्होंने सहकर्मियों के बीच आपसी सम्मान के महत्व पर भी जोर दिया।इस अवसर पर छात्रों और फैकल्टी द्वारा नृत्य, योग और गायन प्रदर्शन सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। फिजिकल एजुकेशन के असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रांत चौहान और शूलिनी यूनिवर्सिटी में योग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रोहित चौबे ने गिटार पर अपनी धुन पर गाना बजाया।कार्यक्रम का समापन ब्रिगेडियर एस डी मेहता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। श्रीमती पूनम नंदा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर ने पूरे कार्यक्रम का आयोजन एवं समन्वयन किया।

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