धर्मषाला, 24 मार्च- भाशा-संस्कृति विभाग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत जिला स्तरीय कवि सम्मेलन का आयोजन जिला गा्रमीण विकास अभिकरण के बैठक कक्ष में किया गया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभात षर्मा (सेवानिवृत हि0प्र0से0) ने की । कार्यक्रम का षुभारम्भ मुख्यतिथि उर्दू/गजलकार के प्रसिद्व साहित्यकार के.के. तूर ने दीप प्रज्वलित कर किया । इस सम्मेलन में जिला से प्रतिश्ठित/ नवोदित 32 कवियों/ साहित्यकारों ने पहाड़ी व हिन्दी भाशा में विभिन्न विशयों पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।
     कार्यक्रम में के.के. तूर ने अपनी गजल‘‘ कितने मषहूर हो गये हो क्या, खुद से भी दूर हो गये हो क्या, बातें करते हो और लोगों की ,दर्द से चूर हो गये हो क्या’’ प्रस्तुत की। चन्द्ररेखा ढडवाल ने भी अपनी कविता की पक्तियांः- ‘मुझे वंदिषों का जनून सही,  मेरा होसला तो बहार है’ प्रस्तुत की। हि.प्र.वि.वि.क्षेत्रीय केन्द्र मोहली की छात्रा तनू ने अपनी कविता यूं ब्यां की ‘‘क्यों पूछते हो मेरी किस्मत कैसी है, उन धन लोभी फकीरों से, इतने ही षिदतवान होते तो खुद न बना लेते, अपने हाथों में धन बोषारों की लकीरों को। इस सम्मेलन में हिप्र. विष्वविद्यालय क्षेत्रीय केन्द्र मोहली, हि0 प्र0 केन्द्रीय विष्वविद्यालय धर्मषाला के एम.ए के षोधार्थीयों ने भाग लिया ।
        जिला भाशा अधिकारी कांगडा ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम ऐसे कार्यक्रमों में नवोदित कवियों को जोड़ने व उन्हे मंच प्रदान करने में प्रयासरत है ताकि आने वाली पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक किया जा सके। उन्होनें कार्यक्रम में उपस्थित विद्वानांे/सात्यिकारों तथा सभी गणमान्यों का आभार व्यक्त किया।
       कार्यक्रम में, डॉ0 वासुदेव प्रषान्त, रेणु, कृतिका, षिव सन्याल, षंकर सन्याल, षिवा पंचकरण, हरि कृश्ण मुरारी, रमेष मस्ताना, डॉ. संदीप कुमार, डॉ0 विवेक षर्मा, कंवर करतार, नवीन चन्द,व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।

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