शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में भी बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के दौरान हंगामा हुआ, लेकिन यहां पर किसी तरह की मारपीट या लाठीचार्ज नहीं हुआ। छात्र संगठन एसएफआई (SFI) ने शनिवार को एचपीयू परिसर में भारी पुलिसबल और क्यूआरटी के जवानों के पहरे के बीच प्रोजेक्टर के जरिए डॉक्यूमेंटरी दिखाने की कोशिश की, लेकिन डॉक्यूमेंटरी पूरी नहीं चल पाई। इस दौरान बीबीसी की बैन डॉक्यूमेंट्री 17 मिनट तक चली थी कि अचानक मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने स्क्रीनिंग को रोक दिया।

पुलिसकर्मियों ने स्क्रीन को उखाड़ दिया और प्रोजेक्टर को बंद कर दिया। इतने में हंगामा मच गया। पुलिसकर्मियों और छात्रों के बीच खूब धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक हुई। एसएफआई कार्यकर्ताओं ने पुलिस और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। डॉक्यूमेंट्री रोकने से नाराज छात्रों ने विरोध स्वरूप यूनिवर्सिटी कैंपस में ही अपने मोबाइल और लैपटॉप पर देखना शुरू कर दिया। एसएफआई ने ऐलान किया कि क्यूआर कोड स्कैन के जरिए सभी को इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया जाएगी।

डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए काफी संख्या में छात्र मौजूद थे। एबीवीपी और एनएसयूआई के कार्यकर्ता भी डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए मौजूद रहे। इस मौके पर छात्रों को संबोधित करते हुए एसएफआई के राष्ट्रीय नेता दिनीत धांटा ने कहा कि सरकार असलियत छुपाना चाहती है, मीडिया की आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी को छीनना चाहती है। धांटा ने एलान किया इस डॉक्यूमेंट्री को डीसी ऑफिस और सचिवालय के बाहर भी दिखाया जाएगा।

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