सोलन, 21 जनवरीबेलेट्रिस्टिक शूलिनी लिटरेचर सोसाइटी ने “मलबे के माध्यम से खजाने की खोज” पर एक पैनल चर्चा आयोजित की। सत्र की मुख्य वक्ता शूलिनी विश्वविद्यालय में इतिहास की सहायक प्राध्यापक डॉ. एकता सिंह थी उन्होंने   बात की कि कैसे पुरातात्विक साक्ष्य अतीत के पुनर्निर्माण में मदद करते हैं।डॉ. सिंह ने अपने अनुसंधान क्षेत्र, स्पीति घाटी की एक केस स्टडी के बारे में बताया, उन्होंने पुरातत्व और इतिहास के बीच बिंदुओं को जोड़ा।

उन्होंने इस बात पर भी ध्यान केंद्रित किया कि किसी स्थान की कहानी सुनाने और विभिन्न संस्कृतियों के बीच समानताएं चित्रित करते समय पुरातात्विक साक्ष्य किसी भी इतिहासकार के लिए प्राथमिक स्रोत कैसे बन गए।एक अन्य पैनलिस्ट, डॉ तिष्य नागरकर, अनुभवी पुरातत्वविद्/सांस्कृतिक मानवविज्ञानी और पुणे के गुणात्मक शोधकर्ता ने विभिन्न जनजातियों और संस्कृतियों के साथ क्षेत्र में काम करने के अपने अनुभवों से उपाख्यानों को साझा किया।

दोनों वक्ताओं ने इस बात का विस्तृत विवरण दिया कि पुरातत्वविद किस तरह से मैदान पर और बाहर काम करता है और इस विषय पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करता है। सत्र की संचालिका डॉ पूर्णिमा बाली थीं जिन्होंने सत्र को सवाल और जवाब के दौर से आगे बढ़ाया।प्रोफेसर तेज नाथ धर, प्रोफेसर नासिर,नीरज पिज़्ज़ार और डॉ नवरीत साही ने चर्चा में योगदान दिया। सत्र के दौरान शूलिनी विश्वविद्यालय को समर्पित और  हेमंत कुमार शर्मा द्वारा रचित एक गीत भी लॉन्च किया गया

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