सोलन, 13 मार्चशूलिनी यूनिवर्सिटी में शूलिनी लिटरेचर सोसाइटी बैलेट्रिस्टिक द्वारा  कॉर्पस भाषाविज्ञान पर एक वार्ता की मेजबानी की गयी , जिसमें चर्चा की गई कि कैसे भाषा डेटा को प्रदर्शित और विश्लेषण किया जाता है, साथ ही साथ कैसे कॉर्पस भाषाविज्ञान का उपयोग करके साहित्यिक ग्रंथों का गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण किया जा सकता है।वार्ता के वक्ता प्रो. हाजर अब्दुल रहीम थे, जो पेनांग में स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज, यूनिवर्सिटी सेन्स मलेशिया के इंग्लिश लैंग्वेज स्टडीज सेक्शन में भाषा विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।

उन्होंने कॉर्पस भाषाविज्ञान की प्रकृति और उपयोगों की व्याख्या की और विस्तार से बताया कि इसे ऑनलाइन कैसे एक्सेस किया जाए और ग्रंथों के महत्वपूर्ण विश्लेषण के लिए इसका उपयोग कैसे किया जाए।भाषाविज्ञान के पारंपरिक रूप से आगे बढ़ते हुए, कॉर्पस भाषाविज्ञान को एक कॉर्पस या डिजीटल सामग्री के एक समूह की आवश्यकता होती है जिसे विशिष्ट सॉफ़्टवेयर के माध्यम से विश्लेषण के लिए विभिन्न तरीकों से इलेक्ट्रॉनिक रूप से एक्सेस किया जा सकता है।

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