सोलन, 17 जनवरी : हिमाचल प्रदेश प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस रेगुलेटरी कमीशन (एचपी-पीईआरसी) के तत्वावधान में आज यहां शूलिनी यूनिवर्सिटी में हिमाचल प्रदेश के 17 निजी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने बैठक कर पर्यावरण की दृष्टि से  कैंपस बनाने के लिए संयुक्त रूप से एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। मेजर जनरल अतुल कौशिक (रिटायर्ड), एचपी-पीईआरसी के चेयरमैन और शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. पी.के. खोसला ने हिमाचल प्रदेश में शून्य-अपशिष्ट और शून्य-कार्बन विश्वविद्यालयों के लिए संवेदीकरण, जागरूकता सृजन और प्रबंधन और संकाय द्वारा रोल-मॉडलिंग के माध्यम से काम करने की बात की। मेजर जनरल अतुल कौशिक ने भाग लेने वाले विश्वविद्यालयों को 2025 तक हिमाचल में शून्य-अपशिष्ट लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कहा, उन्होंने कहा की  व्यक्तिगत उदाहरण के माध्यम से जीवन शैली में बदलाव का प्रदर्शन करके युवा पीढ़ी की मानसिकता में बदलाव लाने की सख्त जरूरत है।


उन्होंने विश्वविद्यालयों से पर्यावरण अध्ययन पर पाठ्यक्रम शुरू करने और इसे प्रत्येक छात्र के लिए एक अनिवार्य अंतर-अनुशासनात्मक कार्यक्रम बनाने के लिए भी कहा। इस बैठक में एचपीपीईआरसी के अध्यक्ष मेजर जनरल अतुल कौशिक, शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर  टिकेंद्र सिंह पंवार, प्रो. आरसी सोबती, कुलपति और 17 निजी विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधि शामिल हुए। ललित जैन, आईएएस, निदेशक, डीईएसटी ने अपने मुख्य भाषण में शहरीकरण के विनाशकारी प्रभाव पर खेद व्यक्त किया जिसने हमारे ग्लेशियर कवर, जैव विविधता और कई दुर्लभ प्रजातियों को प्रभावित किया है। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को भागीदारी करने और कचरे को रोकने में मदद करने के लिए DEST की मदद की पेशकश की जिसमें विभाग उनकी मदद करेगा।


अपने वर्चुअल संबोधन में डीईएसटी के निदेशक ललित जैन ने कहा कि हम ग्लेशियर खो रहे हैं जो हमारे पीने के पानी का स्रोत हैं और हमने पर्यावरण परिवर्तन के कारण जानवरों की 60 प्रजातियों को भी खो दिया है। उन्होंने आगे कहा कि हमें छात्रों में आदतों को विकसित करने और पर्यावरण को बचाने के लिए गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता है।  जैन ने सम्मेलन में उपस्थित कुलपतियों से अनुरोध किया कि सभी छात्रों के लिए पर्यावरण आधारित पाठ्यक्रम हो। शिमला के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवार ने आवाजाही और बर्बादी की बात कही। पंवार ने कहा कि भविष्य का अस्तित्व पर्यावरण के प्रति व्यवहार परिवर्तन पर निर्मित होता है। उन्होंने पर्यावरण और जैव विविधता पर पाठ्यक्रम जोड़ने पर भी जोर दिया। जनरल अतुल कौशिक ने कहा कि हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपने व्यवहार पैटर्न और दैनिक दिनचर्या के तरीकों को बदलने की जरूरत है।


प्रोफेसर पीके खोसला शूलिनी यूनिवर्सिटी के चांसलर ने कहा कि यूनिवर्सिटीज (एचपी-पीईआरसी) के लिए रिसर्च बेहद जरूरी है और शूलिनी रिसर्च में सहयोग कर सकती है। उन्होंने  शूलिनी विश्वविद्यालय परिसर में शून्य-कार्बन खपत के बारे में भी बात की ।प्रोफेसर अतुल खोसला, कुलपति, शूलिनी विश्वविद्यालय ने अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें प्लास्टिक का उपयोग न करने की शपथ लेने और पर्यावरण की रक्षा के लिए उपयुक्त उपाय करके राज्य में स्थायी परिसर बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने वृक्षारोपण के महत्व और यथासंभव सौर प्रणाली के उपयोग पर भी जोर दिया।सम्मेलन में यह भी घोषित किया गया  कि विश्वविद्यालय अपने संबंधित परिसरों में भविष्य के बुनियादी ढांचे का निर्माण करने का प्रयास करेंगे जो पर्यावरण के अनुकूल है और जिसका जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों और सामान्य पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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