राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य निरंजना कंवर की अध्यक्षता में आज यहां बाल श्रम एवं बाल अधिकारों के सम्बन्ध में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। निरंजना कंववर ने कहा कि बाल संरक्षण आयोग का मुख्य उद्देश्य बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय सुझाना है ताकि समाज में बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी विभागों के अधिकारियों को समन्वित होकर कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बच्चों से सम्बन्धित नीति और योजनाएं कार्यान्वित की हैं। सभी विभागीय अधिकारी, कर्मचारी इन बच्चोें के उत्थान के लिए आपसी तालमेल से कार्य करें ताकि इन योजनाओं का लाभ बच्चों को मिल सके।
कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेन्द्र तेगटा ने किशोर न्याय बोर्ड के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। श्रम अधिकारी पृथ्वी सिंह वर्मा ने बाल श्रम के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से मज़दूरी करवाना कानूनी अपराध है। विधि अधिकारी और अधिवक्ता ने विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) और ट्रैकिंग आॅफ मिसिंग चिल्ड्रन की भूमिका के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी कविता गौतम ने स्ट्रीट में रह रहे हैं बच्चांे के उत्थान एवं पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई, पुलिस विभाग, श्रम विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग की भूमिका के बारे में बताया।
कार्यशाला में सदस्य बाल कल्याण समिति, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग सोलन एवं बद्दी, चिकित्सा खण्ड अर्की, धर्मपुर, चण्डी एवं सायरी के खण्ड चिकित्सा अधिकारी, श्रम विभाग सोलन एवं बद्दी, बाल विकास परियोजना अधिकारी सोलन, कंडाघाट, धर्मपुर, अर्की, नालागढ़, चाइल्डलाइन तथा बाल आश्रम के कार्यप्रभारी अधिकारियों ने भाग लिया।

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