धर्मशाला, 27 मार्च। टीबी उन्मूलन को लेकर आज सोमवार को धर्मशाला में बहुक्षेत्रीय सहभागिता पर आधारित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि जिस प्रकार टीबी उन्मूलन के प्रति हिमाचल प्रदेश में जागरूकता बड़ी है, उससे निश्चित तौर पर राज्य वर्ष 2024 तक टीबी मुक्त बन सकता है। उन्होंने कहा कि टीबी से जीतने के लिए जरूरत केवल रोग से लड़ने और समाज को जागरूक करने की है। उन्होंने कहा कि क्षय रोग को लेकर जागरूकता के साथ, रोगियों के प्रति संवेदना भी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर पंचायतें अपने स्तर पर कार्य करते हुए टीबी रोगियों की पहचान कर उनका उपचार सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करें तो इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे।


राज्यपाल ने कहा कि टीबी उन्मूलन का हल हमारे पास है और वह है साहस। उन्होंने कहा कि ऐसे संकटों से निपटने के लिए सामाजिक सहभागिता अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल सरकारें ही सब कुछ करें, इस मानसिकता से कोई हल निकलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकारें अपना प्रयास कर रही हैं पर क्षय रोग पर विजय पाने के लिए सामाजिक सहभागिता भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे देश ने कोविड जैसी महामारी पर भी विजय प्राप्त की है। इसकी तुलना में टीबी से विजय पाना कोई कठिन कार्य नहीं है।


उन्होंने प्रदेश में बढ़ते नशे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस सामाजिक कुरीति के खिलाफ भी हमको मिलकर लड़ना हा़ेगा। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन तथा नशा मुक्ति के लिए हम सभी को सामूहिक तौर पर सार्थक प्रयत्न करने की जरूरत है। उन्होंने कांगड़ा जिले में निक्षय मित्रों द्वारा क्षय रोगियों को गोद लेने के अभियान की सराहना की। उन्होंने कहा कि निक्षय मित्र इन रोगियों को परिवार के सदस्यों की तरह समझें। इससे उपरांत, राज्यपाल ने जिला प्रशासन की ओर से टीबी रोगियों को फूड बास्केट और संवेदना किट वितरित की। इस अवसर पर वहीं, इससे पहले, उन्होंने उपायुक्त कार्यालय से टीबी जागरुकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगायी गई प्रदर्शनी का उद्घाटन कर विभाग द्वारा स्थापित फोटो बूथ में फोटो खिंचवाकर टीबी उन्मूलन की जागरूकता का संदेश दिया।


कार्यशाला में कांगड़ा के उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने जिले में टीबी रोगियों को दी जा रही उपचार सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस अभियान में जिला रेड क्रॉस सोसाईटी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और अभी तक उनके द्वारा करीब तीन हजार निक्षय किट वितरित की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त जिले में टीबी रोगियों के अनाथ बच्चों को 150 संवेदना किट भी वितरित की गई हैं। इन बच्चों को भी जिला रेड क्रॉस सोसाईटी ने अपनाया है। उन्होंने कहा कि जिले में सभी विभागों के आपसी समन्वय और गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से क्षय रोग उन्मूलन का कार्य सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।


कार्यशाला के दौरान दो टीबी चैंपियंस ने अपने विचार और अनुभव साझा किए। उन्होंने रोगियों को आ रही मुश्किलों से राज्यपाल को अवगत करवाया। राज्यपाल ने उनकी बात पर तुरंत संज्ञान लेते हुए संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर जिला टीबी अधिकारी डॉ. आर.के सूद ने टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिले में की गई महत्वपूर्ण पहल एवं रणनीतिक योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले में 311 निक्षय मित्र हैं तथा 1089 टीबी रोगियों ने निक्षय मित्र द्वारा उन्हें अपनाए जाने पर अपनी सहमति दी है


पुलिस अधीक्षक डॉ. खुषाल शर्मा, अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील शर्मा, टांडा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. भानु अवस्थी, विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, निक्षय मित्र तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

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