प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसका नतीजा है कि अभी तक प्रदेश में 159465 किसान-बागवान इस खेती विधि को अपना चुके हैं। चार साल पहले शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य कार्यबल की पंाचवी बैठक का आयोजन मंगलवार को मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में किया गया। इस दौरान मुख्य सचिव ने दोनों कृषि और बागवानी विश्वविद्यालयों को प्राकृतिक खेती को स्नातक और स्नातकोतर कक्षाओं में प्राकृतिक खेती को विषय के रूप में जल्द शुरू करने के लिए कहा। मुख्य सचिव ने कृषि विभाग और बागवानी विभाग को मिलकर प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ाने के लिए काम करने के निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती कर रहे किसान-बागवानों के उत्पादों को बाजार मुहैया करवाने के लिए मार्केटिंग की जल्द व्यवस्था करने के लिए कहा।


बैठक के दौरान प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने प्राकृतिक खेती की गतिविधियों पर प्रस्तुती दी। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती विधि को किसानों तक पहुंचाने के लिए पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर काम किया जा रहा है और अभी तक पंचायती राज विभाग की 502 कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। अब ये कृषि सखियों आगे लोगों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूकता फैलाएंगी।  
कृषि सचिव और प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने जानकारी दी कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत शिमला जिला में प्राकृतिक खेती उत्पाद विक्रय केंद्र खोलने की जानकारी दी। राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को शुरू हुए चार साल का समय हो चुका है और इसके लिए अब इंपेक्ट असेसमेंट का काम शुरू किया गया है। बैठक के दौरान राकेश कंवर ने भविष्य की कार्ययोजना के बारे में अवगत करवाया।
राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर और कार्यकारी निदेशक प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने केंद्रिय बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की घोषणा का स्वागत किया।


बैठक में सचिव पशुपालन अजय कुमार शर्मा, बागवानी सचिव अमिताभ अवस्थी, मार्केटिंग बोर्ड के एमडी नरेश ठाकुर, बागवानी निदेशक सुदेश कुमार मोक्टा, कृषि सचिव डॉ एनके धिमान, पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के डायरेक्टर रिसर्च एसपी दिक्षित, हिमफेड के एमडी जीएस नेगी और प्रधान वैज्ञानिक रामेश्वर कुमार मौजूद रहे।

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