रेहड़ी फड़ी तयबजारी यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमंडल नगर निगम शिमला के आयुक्त से मिला व उन्हें नगर निगम शिमला द्वारा शिमला में लिफ्ट के समीप तहबाजारी करने वालों के लिए बनाए गए आजीविका भवन में बनाई गई सभी दुकानें तहबाजारी करने वालों को देने की मांग की। यूनियन ने चेताया है कि अगर नगर निगम ने इन दुकानों की ऑक्शन अन्य लोगों को की तो इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन होगा। प्रतिनिधिमंडल में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा,बालक राम,रंजीव कुठियाला,यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र बिट्टू,दर्शन लाल,बसन्त सिंह,श्याम लाल,शब्बू आलम,अमरजीत माटा,संजय साहू,पवन भानु,ओमप्रकाश शर्मा,सुरेश कुमार आदि मौजूद रहे।

यूनियन अध्यक्ष सुरेंद्र बिट्टू व दर्शन लाल ने कहा है कि आजीविका भवन की दुकानों की ऑक्शन तयबजारी के अलावा अन्यों को करने का यह निर्णय आजीविका भवन की परियोजना के लिए तय नियमों की अवहेलना है तथा इससे नगर निगम का गरीब विरोधी चेहरा भी उजागर हुआ है। उन्होंने मांग की है कि नगर निगम अपने इस गरीब जनविरोधी निर्णय को तुरन्त निरस्त करे तथा सभी दुकानों को शहर में रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वाले पात्र व्यक्तियों को ही आबंटित किया जाए। उन्होंने कहा कि पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2015 में शहरी गरीब के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए शहर में सड़कों पर रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी लगाने वालों के पुनर्वास के लिए एक महत्वकांक्षी परियोजना बनाई थी।

जिसमे लिफ्ट के समीप पुराने जर्जर बेकरी भवन को तोड़कर यहाँ पर तहबाजारी करने वालों को बसाने के लिए 3.93 करोड़ रुपए की लागत से आजीविका भवन बनाकर इसमे 222 दुकानें व बारह बेकरी बनाई जानी थी। इस परियोजना को सदन में स्वीकृत कर केंद्र सरकार से शहरी गरीब को रोजगार व पुर्नवास योजना के अंतर्गत चेलेंज फण्ड से इसके लिये 2.5 करोड़ रुपए व राज्य सरकार से 50 लाख का प्रावधान करवा कर वर्ष 2016 में इसका निर्माण आरम्भ किया गया था।

उन्होंने कहा कि अब जब आजीविका भवन बनकर तैयार हो गया है और इसमें दुकानों के आबंटन का कार्य करना है तो नगर निगम शिमला इस परियोजना को बनाते समय भवन निर्माण व सामाजिक दायित्व के निर्वहन को देखते हुए तय किये गए सभी नियमों को दरकिनार कर अब इसमें 71 दुकानों को खुली नीलामी से देने व अपना कार्यालय खोलने के निर्णय से सड़क पर गरीब रेहड़ी फड़ी व तहबाजारी करने वालों के हक़ पर डाका डाल रहा है। इससे स्पष्ट है कि नगर निगम गरीब के हक़ को नजरअंदाज कर नियमों की अवहेलना करते हुए साधन सम्पन्न व अपने चेहतों को इन दुकानों को आबंटित कर जनविरोधी कार्यों को अंजाम दे रहा है।

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