सोलन, 9 जून शूलिनी यूनिवर्सिटी ने “द शूलिनी इनोवेशन डे” के दूसरे संस्करण की मेजबानी की,  जिसमे   नवाचार  और  उद्यमशीलता के प्रयासों पर प्रकाश डाला गय।  इस आयोजन में विश्वविद्यालय के  सभी  संकाय सदस्यों, छात्रों और उद्योग भागीदारों के उल्लेखनीय शोध के बारे में चर्चा की गयी

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा थे। गेस्ट ऑफ ऑनर डीन लॉ हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी (एचपीयू) प्रोफेसर संजय सिंधु थे। इस कार्यक्रम का आयोजन शूलिनी बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यालय द्वारा प्रोफेसर दिनेश कुमार के मार्गदर्शन में विधि विज्ञान संकाय के एसोसिएट डीन प्रोफेसर नंदन शर्मा के सहयोग से किया गया ।

न्यायमूर्ति सुशील कुकरेजा ने श्रोताओं को संबोधित किया, राष्ट्रव्यापी पेपरलेस अदालतों के कार्यान्वयन सहित भारतीय अदालतों में की गई प्रगति पर अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने पहुंच और स्पष्टता सुनिश्चित करने के लिए निर्णयों को हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति कुकरेजा ने लचीलेपन और असफलताओं से सीखने के महत्व पर भी जोर दिया।

अपने स्वागत भाषण में शूलिनी यूनिवर्सिटी के डीन पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज, हेड ऑफ स्कूल बायोइंजीनियरिंग एंड फूड टेक्नोलॉजी प्रो. दिनेश कुमार  ने नवाचार के क्षेत्र में इसकी रैंकिंग सहित शूलिनी यूनिवर्सिटी की उल्लेखनीय उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के इन-हाउस पेटेंट सेल के महत्व और यूटिलिटी पेटेंट बढ़ाने पर इसके फोकस पर भी जोर दिया। प्रो. दिनेश  ने समर पेटेंट स्कूल पहल पर भी प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों के बीच नवीन सोच को पोषित करना और प्रोत्साहित करना है।

श्रोताओं को संबोधित करते हुए शूलिनी विश्वविद्यालय में प्रो. नंदन शर्मा डीन लीगल साइंसेज ने प्रत्येक व्यक्ति के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर जोर दिया और उपस्थित लोगों को आविष्कार के लिए अपने जुनून को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने एआई-आधारित आविष्कारों की बढ़ती प्रासंगिकता को स्वीकार किया और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए नए नियम विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रो शर्मा ने बौद्धिक संपदा से जुड़े व्यावसायिक मूल्य और पहलुओं पर भी प्रकाश डाला।

प्रो संजय सिंधु, डीन लॉ, एचपीयू गेस्ट ऑफ ऑनर ने इस कार्यक्रम में पेटेंटिंग के माध्यम से रचनात्मक कार्यों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया, रचनाकारों से रचनात्मकता और नवीनता की आदतों को विकसित करने का आग्रह किया।

प्रोफेसर पीके खोसला चांसलर शूलिनी यूनिवर्सिटी ने कहा कि शूलिनी इनोवेशन डे विचारों के आदान-प्रदान और अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में सहयोगी अवसरों की खोज के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना और व्यक्तियों को उनकी रचनात्मक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करना है। प्रो खोसला ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के उद्देश्य और महत्व और नवाचार को बढ़ावा देने और रचनात्मकता को सुरक्षित रखने में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

प्रो वाइस चांसलर  विशाल आनंद ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का इस उल्लेखनीय आयोजन की शुरुआत में उपस्थिति और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी साझा किया कि शूलिनी इनोवेशन डे प्रतिभागियों के बीच एक आकर्षक और सूचनात्मक कार्यक्रम, सहयोग को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रेरित करने का वादा करता है।सौरभ अग्रवाल सहायक प्रोफेसर शूलिनी विश्वविद्यालय ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी उपस्थित लोगों और योगदानकर्ताओं की भागीदारी के लिए सराहना व्यक्त की।

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