हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभाग सिंह ने कहा कि केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली को सर्प दंश सहित अन्य जीवन रक्षक टीकों के उत्पादन तथा संस्थान को और अधिक आधुनिक बनाने के लिए प्रदेश सरकार हरसम्भव सहायता प्रदान करने के लिए कृत संकल्प है। राम सुभाग सिंह आज सोलन जिला के कसौली स्थित केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान के 118वें स्थापना दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
राम सुभाग सिंह ने कहा कि केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली ने सर्प दंश, रेबीज के एंटी सीरा तैयार करने के साथ-साथ विभिन्न जीवन रक्षक टीके तैयार करने में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली को देश में विश्वास का पर्याय माना जाता है और संस्थान इस दिशा में अग्रणी बन कर उभरा है।
मुख्य सचिव ने कहा कि कोविड-19 महामारी के समय में भी केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली ने प्रदेश विशेष रूप से सोलन एवं अन्य जिलों से कोरोना वायरस की जांच के लिए एकत्र किए गए 02 लाख से अधिक आरटीपीसीआर परीक्षण किए। उन्होंने आशा जताई कि संस्थान भविष्य में अपनी गतिविधियों का विस्तार करेगा।    
उन्होंने कहा कि संस्थान में स्वतन्त्र इकाई के रूप में कार्यरत सैन्ट्रल ड्रग लैबोरेटरी के कार्य को सभी स्तरों पर सराहा गया है। उन्होंने कहा कि यहां कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार 200 करोड़ से अधिक टीकों का गुणवत्ता परीक्षण किया गया।
मुख्य सचिव ने यहां कार्यरत जीव विज्ञानियों से आग्रह किया कि वे कोरोना वायरस द्वारा लगातार बदले जा रहे विभिन्न स्वरूपों की पहचान कर इन्हें अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सामने लाएं ताकि कोविड-19 वायरस के विभिन्न उत्परिवर्ती प्रभेदों (म्यूटेन्ट स्ट्रेन) से स्थाई बचाव एवं उपचार सम्भव हो सके।
उन्होंने संस्थान के 118 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर प्रकाशित स्मारिका का विमोचन भी किया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं प्रो. डॉ. अतुल गोयल ने इस अवसर पर ऑन लाईन माध्यम से अपने विचार रखे।
केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली की निदेशक डॉ. डिम्पल कसाना ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि वर्ष 1905 में अपनी स्थापना के समय से ही संस्थान जीवन रक्षक टीकों के उत्पादन में अग्रणी है। संस्थान विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से शीघ्र ही सीवेज नमूनों में कोरोना वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए कोविड-19 पर्यावरण निगरानी आरम्भ करेगा। उन्होंने कहा कि संस्थान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और एनआईवी पुणे के सहयोग से कोरोना वायरस की चिकित्सीय एंटीसीरा के विकास की दिशा में भी कार्यरत है।
इस अवसर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग, हिमाचल प्रदेश के कलाकारों द्वारा प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।
संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. ऐ.के. तलहन, अतिरिक्त उपायुक्त सोलन जफर इकबाल, उपमण्डलाधिकारी कसौली डॉ. संजीव धीमान, अन्य वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

By admin

Leave a Reply