प्रीवेंटिव थेरेपी (टी.पी.टी.) इलाज ले रहे व्यक्तियों के साथ  पेशेंट प्रोवाइडर मीटिंग आयोजित की गयी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉक्टर गुरदर्शन गुप्ता ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन मे जानकारी दी कि भारत में एक तिहाई व्यक्ति निष्क्रिय टी.बी. के साथ जी रहे हैं निष्क्रिय टी.बी. यानि कि व्यक्ति मे बैक्टीरिया तो है पर रोग नहीं उत्पन्न कर रहा है। इसलिए सरकार के दिशानिर्देश मे जिला काँगड़ा मे निष्क्रिय टी.बी. का इलाज किया जा रहा है। यह इस प्रकार की पहली व अनोखी बैठक रही। टी.बी.की बीमारी दो तरह की होती है लेटेंट/निष्क्रिय टीबी और एक्टिव/ सक्रिय टी.बी.। किसी के भी शरीर में ट्यूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया हो सकते हैं लेकिन इम्यूनिटी इन्हें शरीर में फैलने से रोके रहती है, इसे छिपा हुआ या लेटेंट टी.बी. कहते हैं। टी.बी.के जीवाणु हम सभी में मौजूद रहते हैं पर अगर इम्यूनिटी मजबूत हो तो यह सक्रिय टी.बी. की बीमारी में नहीं बदल पाते।
जिला काँगड़ा मे अक्षय प्लस प्रोजेक्ट के सहयोग से टी.बी. के मरीजों के परिजनों का टी.पी.टी.इलाज किया जा रहा है। जिला काँगड़ा मे अक्टूबर 2021 से अब तक 1400 टी.बी. मरीजों के परिजनों को होम विजिट किया जा चुका है जिनके तहत 4500 से अधिक  परिजनों की स्क्रीनिंग एवं निष्क्रिय टी.बी. के इन्फेक्शन की टेस्टिंग करी गयी। इनमे से जिन परिजनों मे टी.बी. का निष्क्रिय बैक्टीरिया पाया गया उनका टी.बी. से बचाव  (टीपीटी)  शुरू किया गया है और जिला काँगड़ा मे अब तक 1100 से अधिक परिजनों का टी.बी. से बचाव का इलाज चल रहा है और उन्होंने ये भी बताया कि जिला मे 250 का यह इलाज सफलतापूर्वक पूरा भी हो चुका है।
मुख्य  चिकित्सा अधिकारी ने यहाँ सम्मिलित सभी टी.बी. के रोगियों और टी.बी. से बचाव का इलाज ले रहे परिजनों से वार्ता करते हुए उन्हें इस बीमारी से शीघ्र ठीक होने के उपाय भी बताए, उन्होंने ये भी बताया कि पुराने समय में टी.बी. की बीमारी को एक अभिशाप की तरह माना जाता था क्योंकि उस समय इस बीमारी से बचाव एवं इलाज के लिए दवा उपलब्ध नहीं थी परन्तु आज के समय मे टी.बी. का इलाज संभव है और मरीज नियमित दवाई के सेवन से ठीक हो जाता है अत; यह एक कोई अभिशाप नहीं बल्कि एक बीमारी मात्र है जिसको छुपाने की नहीं बल्कि इलाज कराने कि जरूरत है। उन्होंने कार्यक्रम मे उपस्थित सभी लोगो से अनुरोध किया कि अपने आस पास व रिश्तेदारों को इस बीमारी के बारे मे जागरूक करें  और साथ ही इससे छुपाये नहीं बल्कि इसका इलाज कराने  लिए  प्रेरित करें तभी हम अपने समाज व देश से टी.बी. का उन्मूलन कर सकते हैं।
इसी संदर्भ मे इस प्रोग्राम से संबंधित जानकारी देते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार सूद ने बताया कि टी.बी. के मरीजों के साथ रहने वाले परिजनों को भी टी.बी. के निष्क्रिय कीटाणु पाए जाने की सम्भावना होती है और दस में से एक की संभावना है कि भविष्य में किसी समय वह कीटाणु सक्रिय हो जाएंगे और आप को बीमार करेंगे।
इस कार्यक्रम कि ख़ास बात यह रही कि कार्यक्रम मे जिला काँगड़ा के कुछ (टी.पी.टी.) इलाज ले रहे व्यक्तिओं ने भी अपने अनुभव साझा किये। साथ ही सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार जोखिम वाले व्यक्ति यानी ऐसे मरीज़ जो किसी और बीमारी जैसे कि कैंसर / गुर्दे का रोग या किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने से बीमारी से लड़ने की क्षमता कमजोर हो जाती है, उनको भी इस प्रोग्राम के तहत टी.बी.  प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट शुरू किया जा रहा है और इस कार्यक्रम मे ऐसे मरीज़ भी सम्मिलित किये गए थे।
इस कार्यक्रम मे शिरकत करते हुए जिला स्वास्थय  अधिकारी  डॉक्टर विक्रम कटोच ने बताया कि जिला भर मे जिला क्षय रोग विभाग व अक्षय प्लस कि टीम द्वारा उत्कृष्ट कार्य किया जा रहा है  और इसी टीम के प्रयास से यहाँ उपस्थित मरीज़ व् उनके परिजनों का इलाज हो रहा है।
अगर किसी के शरीर मे निष्क्रय टी.बी के जीवाणु हों तो दस मे से एक एक की संभावना है कि भविष्य मे किसी समय वह रोगाणु सक्रिय हों जायेंगे और इसी से बचाव के लिए जिला भर मे टी.बी. से बचाव यानी टीपीटी कार्यक्रम प्रगति पर है।
विश्व स्तर पर टी.बी. मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक है। पिछले वर्षों में बेशक टी.बी. में कमी आयी है, परन्तु विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रणनीति द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से बहुत दूर है, जिसका उद्देश्य टी.बी. से होने वाली मौतों को 2035 तक 90 प्रतिशत कम करना है।

इस कार्यक्रम मे टी.बी. के जाने माने वरिष्ट चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर व्योम भरद्वाज के साथ अक्षय प्लस के जिला अधिकारी प्रवीण चौहान व ब्लॉक कोऑर्डिनेटर विश्व बंधू  और साथ ही टी.बी. हेल्थ विजिटर सुबेष कुमार एवं कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर तमन्ना, पुष्पलता, अंकिता नंदा व तन्वी मुख्य तौर पर उपस्थित रहे।

By admin

Leave a Reply